हृदय की आवाज....
जब समुद्र की लहर आती हैं।उसके साथ बहुत से मोती किनारे आकर बिखर जाते हैं। लेकिन बगुला केवल मछलियों को खाता हैं। क्योंकि वो मोतियों की कीमत नहीं जानता। इसके विपरीत हंस मोतियों को चुनता है।
अब यह निर्णय हमें करना है। हमें बगुले के समान बनना हैं।अथवा हंस के समान क्योंकि यह विश्व भी उसी समुद्र के समान है। यहाँ हर प्रकार की बातें लोग रास्ते और कार्य हैं।
बुद्धिमान लोग अलग उद्देश्य चुनते हैं।वहीं मूर्ख लोग सांसारिक मोह में बिना दूर की सोचे अव्यावहारिक निर्णय लेते हैं। मन कुछ कहता हैं। बुद्धि कुछ कहती हैं।समाज कुछ कहता हैं। लेकिन अपने हृदय की आवाज सबसे निराली हैं।
अतः हृदय की आवाज सुने। हृदय की आवाज को ही सत्य माने। क्योंकि और सब की अपेक्षा हृदय परमात्मा से ज्यादा नजदीक है।
By: via PLANET KRISHNA
जब समुद्र की लहर आती हैं।उसके साथ बहुत से मोती किनारे आकर बिखर जाते हैं। लेकिन बगुला केवल मछलियों को खाता हैं। क्योंकि वो मोतियों की कीमत नहीं जानता। इसके विपरीत हंस मोतियों को चुनता है।
अब यह निर्णय हमें करना है। हमें बगुले के समान बनना हैं।अथवा हंस के समान क्योंकि यह विश्व भी उसी समुद्र के समान है। यहाँ हर प्रकार की बातें लोग रास्ते और कार्य हैं।
बुद्धिमान लोग अलग उद्देश्य चुनते हैं।वहीं मूर्ख लोग सांसारिक मोह में बिना दूर की सोचे अव्यावहारिक निर्णय लेते हैं। मन कुछ कहता हैं। बुद्धि कुछ कहती हैं।समाज कुछ कहता हैं। लेकिन अपने हृदय की आवाज सबसे निराली हैं।
अतः हृदय की आवाज सुने। हृदय की आवाज को ही सत्य माने। क्योंकि और सब की अपेक्षा हृदय परमात्मा से ज्यादा नजदीक है।
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