यदि हमारा ईश्वर के साथ बुद्धिमत्ता पूर्ण अच्छा संबंध हैं तो हम सदा प्रसन्न रह सकते हैं।
PLANET KRISHNA
लेकिन हम लोग नहीं तो ईश्वर को समझते हैं।नहीं ईश्वर की न्याय व्यवस्था को समझते हैं।बिना सोचे समझे ईश्वर से आशाएं रखते हैं।और जब वह आशाएं पूरी नहीं होती तब हम दुखी होते हैं।
ईश्वर का अपमान करते हैं।
ईश्वर को अपशब्द कहते हैं इत्यादि।
आज लोगों का इस प्रकार का दुर्व्यवहार संसार में प्रतिदिन देखने को मिलता है।
लेकिन यह कोई बुद्धिमत्ता का व्यवहार नहीं है।
ईश्वर के साथ हमेशा बढ़िया संबंध बनाएं रखना चाहिए।उसकी न्याय व्यवस्था को समझना चाहिए।
हमें यह ज्ञात होना चाहिए की जब हम कर्म करेंगे तभी तो ईश्वर फल देगा।
बिना कर्म किए बिना ही।
बिना पुरुषार्थ किए बिना ही।
यूंही ईश्वर से मांगते जाना व्यर्थ है।
अत: बिना पुरुषार्थ किए कोरी प्रार्थना करने पर ईश्वर कुछ नहीं देता।
पुरुषार्थ करने पर ईश्वर फल अवश्य देता हैं।और यदि हम पुरुषार्थ के साथ प्रार्थना भी करें तो प्रार्थना का ईश्वर अतिरिक्त फल भी देता है।
जो व्यक्ति ईमानदारी से।
बुद्धिमत्ता से।
पूरी मेहनत से।
पुरुषार्थ करता हैं।
ईश्वर उसे फल देने में कोई कमी नहीं रखता।उसको खूब देता है।
अत: हम अपना कर्तव्य ठीक से जानें और उसे पूरा करें।फिर देखें ईश्वर की ओर से कोई कमी नहीं हैं।ईश्वर हमारी झोली खुशियों से भर देगा।
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